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recovering from a bad day, Can we be Friends again ?

क़िस्मत से तो रोज़ लड़ना हैं,

चुप चाप सेहना क्यों,ख़ुद के हालात पे रोना क्यों,क़िस्मत से तो रोज़ लड़ना हैं,अभी तो कुछ बड़ा करना हैं। नसीब में जो नहीं, वह मिलता नहीं,रोने से हालात बदलते नहीं,क़िस्मत से तो रोज़ लड़ना हैं,अभी… Read More »क़िस्मत से तो रोज़ लड़ना हैं,

क़िस्मत की खोज में

खुद की तलाश मैं, अपनी पहचान से। निकले है देखो आज, क़िस्मत की खोज में। मंज़िल का पता नहीं, हम तो राही है, हमे तो चलते रेहना। निकले है देखो आज, क़िस्मत की खोज में।… Read More »क़िस्मत की खोज में

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