चुप चाप सेहना क्यों,
ख़ुद के हालात पे रोना क्यों,
क़िस्मत से तो रोज़ लड़ना हैं,
अभी तो कुछ बड़ा करना हैं।
नसीब में जो नहीं, वह मिलता नहीं,
रोने से हालात बदलते नहीं,
क़िस्मत से तो रोज़ लड़ना हैं,
अभी तो कुछ बड़ा करना हैं।
ख़ुद पे भरोसा करना है,
मंज़िल तक अकेले ही चलना है।
क़िस्मत से तो रोज़ लड़ना हैं,
अभी तो कुछ बड़ा करना हैं।
ऊपर वाला साथ है,
तेरा दिल जो साफ़ है।
दूसरों से झलते नहीं, जान कर
किसी का ग़लत करते नहीं।
क़िस्मत से तो रोज़ लड़ना हैं,
अभी तो कुछ बड़ा करना हैं।
मुसीबतों से मुड़ना नहीं,
अब यूं ही रोना नहीं।
सफ़र अभी बाकी है,
मंज़िल से पहले नहीं रुकना है।
क़िस्मत से तो रोज़ लड़ना हैं,
अभी तो कुछ बड़ा करना हैं।
Related Mujhe likhne do
PRAYOGSHALA – It has a great collection of poems
More on Poems

Ki Aayega tu

Hume Dur Jana hai

मां कौन है

Pain is it you

Tum milne aana

Lost conversations

Don’t be like them
More on Shayari

Tum jo har waqt

Samja kisine nahi

Dupatte se chehra chupa tha,
